लेखनी कहानी -13-Dec-2021
🇮🇳🇮🇳🇮🇳अंत 🇮🇳🇮🇳🇮🇳
क्या रोज शहादत लिखना हैं
वीरों को गोली सहना हैं
क्यों ना हम प्रतिकार करें,
इनको ढूंढे और वार करे,
क्यों गुमसुम हम बैठेंगे,
क्यों जानबूझकर सहलेंगे,
अब एक अंतिम प्रहार हो,
बम बम भोले इस बार हो,
जो होना है, हो जाए अब,
लहू बहे तो बह जाए अब,
अंतिम होम हो जाए अब,
स्वाहा बैरी हो जाए अब,
क्या वह हमसे बलशाली हैं,
बस केवल वह दुराचारी हैं,
पूर्णाहुति अबकी डालो
तर्पण बैरीका का डालो
रक्तबीज है श्वास सब लो,
लहू सब दुश्मन का चाट लो,
एक ना उसका बचने पाए,
धाय धाय कर सब मर जाएं,
पूर्ण विराम हो छल युग का,
अंत हो बस आतंक युग का l
✍️मंजू शर्मा
सूरत गुजरात